सितंबर 2025 में श्रीनगर की मशहूर Hazratbal Dargah एक नए विवाद का केंद्र बनी। दरगाह परिसर में वक़्फ़ बोर्ड ने एक पट्टिका लगाई थी जिस पर राष्ट्रीय प्रतीक Ashoka Emblem अंकित था। शुक्रवार की नमाज़ के बाद श्रद्धालुओं ने इसे धार्मिक आस्था के विरुद्ध मानते हुए तोड़ दिया। इसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लोगों को हिरासत में लिया। इस घटना ने राजनीतिक दलों में बहस छेड़ दी—बीजेपी ने इसे राष्ट्र का अपमान कहा, जबकि विपक्षी दलों ने धार्मिक स्थल पर प्रतीक लगाने को ही ग़लती ठहराया।
अशोक चिह्न क्या है?
- अशोक चिह्न भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। यह सारनाथ (वाराणसी, उत्तर प्रदेश) स्थित अशोक स्तंभ (Lion Capital of Ashoka) से लिया गया है। मूल स्तंभ को मौर्य सम्राट अशोक महान ने लगभग तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व बनवाया था।
- इसमें चार शेर पीठ से पीठ मिलाकर खड़े हैं। ये शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गर्व का प्रतीक हैं। नीचे एक गोलाकार आधार है जिस पर घोड़ा, बैल, हाथी और सिंह बने हैं और बीच में धर्मचक्र (Wheel of Dharma / Ashoka Chakra) है। यही चक्र भारत के झंडे के बीच में भी दिखता है।
क्या दर्शाता है अशोक चिह्न?
- शक्ति और एकता – चार शेरों का मतलब है कि भारत चारों दिशाओं में मजबूती और साहस से खड़ा है।
- धर्म और न्याय – आधार पर बने पशु और धर्मचक्र न्याय, नीति और धर्म का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- सत्य और अहिंसा – अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाने के बाद अपने शासन में अहिंसा और धर्म की नीति पर जोर दिया था, उसी से यह प्रतीक प्रेरित है।
धार्मिक संबंध है या नहीं?
- अशोक चिह्न का सीधा संबंध किसी एक धर्म से नहीं है।
- यह बौद्ध धरोहर से लिया गया है क्योंकि अशोक ने बौद्ध धर्म के सिद्धांतों को अपनाया और उन्हें स्तंभों व चक्रों के जरिए फैलाया।
- लेकिन स्वतंत्र भारत ने इसे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रीय प्रतीक के तौर पर अपनाया।
- इसका मकसद किसी धार्मिक विचारधारा को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि भारत की विरासत, एकता और मूल्यों को दर्शाना है।
अशोक चिन्ह — आधिकारिक उपयोग
क्रम | स्थान / विभाग | कैसे उपयोग होता है (संक्षेप) | उदाहरण |
---|---|---|---|
1 | सरकारी दफ्तर | लेटरहेड, आधिकारिक नोटिस, मुहरों पर लगाया जाता है। | किसी मंत्रालय का ऑफिस लेटरहेड |
2 | संसद और विधानसभाएँ | दस्तावेज़, प्रमाणपत्र और भवनों पर उपयोग। | संसद की आधिकारिक प्रकाशित रिपोर्ट |
3 | पहचान पत्र | पासपोर्ट, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे आधिकारिक आईडी पर छपा होता है। | भारत का पासपोर्ट |
4 | नोट व सिक्के | भारतीय करेंसी (नोट/सिक्का) पर राष्ट्रीय चिन्ह दिखाई देता है। | रुपया नोट |
5 | न्यायपालिका | सुप्रीम कोर्ट/हाई कोर्ट की मुहर और आधिकारिक कागज़ात में। | सुप्रीम कोर्ट का आदेश-पत्र |
6 | पुलिस और रक्षा बल | वर्दी, बैज और आधिकारिक पत्रों पर उपयोग। | पुलिस वर्दी का बैज |
7 | सरकारी योजनाएँ व मंत्रालय | कई सरकारी योजनाओं और मंत्रालयों के लोगो/डॉक्यूमेंट पर मौजूद। | योजना की आधिकारिक वेबसाइट का लोगो |
घटनाक्रम की पूरी जानकारी
1. पट्टिका पर Ashoka चिन्ह
- 3 सितंबर 2025 को, वक़्फ़ बोर्ड की चेयरपर्सन Dr. Darakhshan Andrabi द्वारा नवीनीकरण परियोजना के उद्घाटन के हिस्से के रूप में दरगाह परिसर में एक पट्टिका स्थापित की गई, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक सत्य स्तंभ, Lion Capital) का चिन्ह अंकित था ।
2. नाराज़गी और तोड़फोड़
- 5 सितंबर 2025 (शुक्रवार दिन), शुक्रवार की नमाज़ के बाद, कई श्रद्धालुओं ने इसे पत्थर मारकर तोड़ दिया और विरोध स्वरूप नारेबाज़ी की ।
- विरोध की वजह प्रमुख रूप से यह थी कि इस्लाम में तौहीद (एकेश्वरवाद) की अवधारणा महत्वपूर्ण है और किसी भी मूर्ति या प्रतिमात्मक चिन्ह को पवित्र स्थल पर रखना अनुचित माना जाता है ।
3. पुलिस, FIR और हिरासत
- 7 सितंबर 2025 को पुलिस ने इस मामले में एक FIR दर्ज की, जिसमें ‘अशोक प्रतीक की तोड़फोड़’ के चलते कानूनन कार्रवाई शुरू हुई ।
- विभिन्न स्रोतों के अनुसार, 26 से 50 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई है—जैसे PTI ने “लगभग 50” बताया, व National Conference ने “30” और BJP नेता ने “26” नामक आंकड़े दिए, लेकिन पुलिस की ओर से कोई आधिकारिक संख्या अभी तक स्पष्ट नहीं है ।
4. राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और बयानबाज़ियाँ
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- Omar Abdullah (मुख्यमंत्री, NC) ने कहा कि धार्मिक जगहों पर राष्ट्रीय प्रतीकों की ज़रूरत नहीं थी और वक़्फ़ बोर्ड को माफ़ी मांगनी चाहिए । उन्होंने सवाल उठाया—“धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीक क्यों लगाए गए?” ।
- Mehbooba Mufti (PDP) ने कहा कि यह धार्मिक भावनाओं के खिलाफ था—“यह Blasphemy की श्रेणी में आता है”—और उन्होनें FIR दर्ज कर आगामी कार्रवाई की बात कही ।
- BJP और डॉ. Andrabi ने इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘राष्ट्र की बेअदबी’ बताया, और इसमें शामिल लोगों को PSA (Public Safety Act) के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की । Andrabi ने इसे “देश-द्रोह” और “आतंकी मानसिकता” से जोड़कर देखा ।
- Congress नेता Tariq Anwar ने विवाद के संदर्भ में कहा: “What’s done is done,” जिस पर BJP ने कांग्रेस पर “राष्ट्रविरोधी रवैया” अपनाने का आरोप लगाया ।
5. चर्चा और प्रभाव
- इस विवाद ने राष्ट्रीय प्रतीक और धार्मिक आस्था के बीच टकराव को उजागर किया।
- NC ने कहा कि दरगाह का प्रबंधन पारदर्शिता और धार्मिक संवेदनशीलता के साथ होना चाहिए, विरोधियों के बजाय संवाद से समाधान हो ।
- अस्पष्टता है पुलिस की हिरासत या गिरफ्तारी के वास्तविक आंकड़ों को लेकर और FIR में कौन-कौन शामिल है—इनकी पुष्टि अभी जारी है।
हज़रतबल दरगाह में लगे अशोक चिह्न को लेकर उपजा यह विवाद सिर्फ़ एक पट्टिका का मामला नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि धार्मिक आस्था और राष्ट्रीय प्रतीकों के बीच संतुलन कितना नाज़ुक है। राजनीतिक दल इस मुद्दे को अपने-अपने नज़रिए से देख रहे हैं, लेकिन असल चुनौती यही है कि देश की एकता और विविधता का सम्मान करते हुए ऐसे विवादों को शांति और संवाद से हल किया जाए।
Click on the link, to know more about the incident: https://youtu.be/73KCtr-IC78?si=vNFssQzJnKruWZs1