सावन माह में पूजा, व्रत और मंदिर दर्शन का विशेष महत्व है। इस पवित्र समय में शिव भक्ति से पापों से मुक्ति, मनोकामनाओं की पूर्ति, स्वास्थ्य, शांति और वैवाहिक सुख की प्राप्ति होती है।
श्रावण सोमवार: महत्ता, व्रत, और रीति-रिवाज
1. श्रावण महीने में सोमवार की अनूठी भूमिका सावन (श्रावण) हिन्दू पंचांग का पाँचवाँ महीना है, सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित माना जाता है, क्योंकि सोमवार चंद्र देव का दिन है और विषहरण की कथा शिव से जुड़ी है .
2. क्यों सेवान व्रत परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है यह व्रत श्रद्धालुओं को संतुलन, शांति, विवाहिक सौभाग्य, और आध्यात्मिक संतोष प्रदान करने में सहायक माना जाता है . जैसे देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करके भोलेनाथ को पति रूपी वरदान पाया था, उसी श्रद्धा से महिलाएँ भी विवाह सुख की कामना करती हैं .
3. 2025 के दिनों की जानकारी और महत्वपूर्ण तारीखें सावन की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से और अंत 9 अगस्त 2025 को हुआ . वर्ष 2025 में सावन के चार सोमवार थे: 14 जुलाई, 21 जुलाई, 28 जुलाई, और अंतिम 4 अगस्त को—जिसे अंतिम सावन सोमवार माना गया और विशेष पुण्यकारी घोषित किया गया .
4. प्रमुख पूजा विधियाँ एवं अनुभव दिन की शुरुआत शुद्ध स्नान एवं श्वेत वस्त्र पहनकर होती है, शाम तक व्रत रखा जाता है। शिवलिंग पर जलाभिषेक—गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी डालना और बेलपत्र चढ़ाना अनिवार्य होता है। मन, वाणी, कर्म में सतर्क रहने के साथ “ॐ नमः शिवाय” जैसे मंत्रों का जाप और आरती-चालीसा का पाठ किया जाता है . दूसरा सोमवार श्रद्धालुओं को सफेद वस्त्र पहनने का सुझाव दिया जाता है—शांति, पवित्रता व संयम का प्रतीक माना गया है .
5. तीसरे सोमवार की भव्य श्रद्धा प्राय: इलाहाबाद, वाराणसी व अन्य मंदिरों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में शिव पूजन में शामिल होते हैं। कुछ क्षेत्रों में गुलाब की पंखुड़ियाँ छत्र से भक्तों पर वर्षा की जाती है, जो विशेष भावुक संस्कार जगाती है
सावन सोमवार व्रत के लाभ:
1. भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है इस व्रत से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
2. विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं अविवाहित लड़कियां अगर श्रद्धा से यह व्रत करें तो उन्हें उत्तम जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
3. वैवाहिक जीवन सुखमय होता है विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए यह व्रत करती हैं।
4. मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है व्रत और शिव पूजन से मन शांत रहता है और जीवन में संतुलन आता है।
5. पापों से मुक्ति मिलती है कहा जाता है कि सावन में शिवजी की आराधना से पुराने पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
6. धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है इस व्रत से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
7. रोगों से राहत मिलती है जलाभिषेक और महामृत्युंजय मंत्र जाप से स्वास्थ्य लाभ होता है।
8. आध्यात्मिक उन्नति होती है यह व्रत आत्मानुशासन, भक्ति और संयम की भावना को मजबूत करता है।
सावन सोमवार व्रत पूजन विधि
1.सुबह स्नान और संकल्प लें: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान शिव का व्रत करने का संकल्प लें: “ॐ नमः शिवाय” का जप करें।
2. पूजा स्थान की सफाई करें: घर के मंदिर या स्वच्छ स्थान पर शिवलिंग या शिवजी की मूर्ति स्थापित करें। गंगाजल या स्वच्छ जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।
3. भगवान शिव का अभिषेक करें: जल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत बनाकर अभिषेक करें। बिल्व पत्र, धतूरा, आक, फूल, भस्म, चंदन अर्पित करें। रुद्राष्टक /शिव चालीसा का पाठ करें।
4. व्रत कथा सुनें या पढ़ें: सावन सोमवार की व्रत कथा ज़रूर सुनें। इससे व्रत पूर्ण माना जाता है।
5. आरती करें: “ॐ जय शिव ओंकारा…” आदि शिव आरती करें। कपूर जलाकर आरती करें।
6. दिनभर व्रत रखें: कुछ लोग निर्जल व्रत रखते हैं, कुछ फलाहार करते हैं। भगवान शिव का स्मरण करते रहें।
7. शाम की पूजा: पुनः शिवलिंग पर जल अर्पित करें। दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें।
8. व्रत समाप्ति: रात्रि को व्रत का समापन करें। अगली सुबह ब्राह्मण को भोजन व दान देकर व्रत का पारण करें (यदि एक दिन का हो)। अगर आपको 16 सोमवार व्रत करना है, तो अगले सोमवार तक इसी विधि से व्रत करें।
Sawan Somvaar व्रत इस समय के लिए श्रद्धा के महत्व को उजागर करता है—यह न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि आत्मशुद्धि, प्रेम, संतुलन और आस्था का अनुभव है।