शिबू सोरेन की अंतिम विदाई: आदिवासी राजनीति के स्तंभ का अंत

शिबू सोरेन, झारखंड आंदोलन के महानायक और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन से राजनीतिक जगत और आदिवासी समुदाय में शोक की लहर है। उन्हें हमेशा एक जननायक के रूप में याद किया जाएगा।

गरीबी, संघर्ष और जनआंदोलन: जानिए शिबू सोरेन का असली परिचय

 शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ (तत्कालीन बिहार, अब झारखंड) के नेमरा गाँव में हुआ था। वे संताल आदिवासी समुदाय से आते थे। बचपन में ही उनके पिता की हत्या हो गई थी ।

     परिवार

  • पिता: सोबरन सोरेन
  • माता: रूपी (Roopi) सोरेन
  • पत्नी: रूपी सोरेन
  • संतान: हेमंत सोरेन (Current CM) , दुर्गा (दिवंगत), बसंत, अंजली ।

शिक्षा रामगढ़ में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, इसके बाद वे जल्दी ही आदिवासी अधिकारों की राजनीति में सक्रिय हो गए थे ।  शिबू सोरेन ने राजनीतिक शुरुआत 18 वर्ष की आयु में Santhal Navyuvak Sangh की स्थापना के साथ की। फिर 1972 में आदिवासी आंदोलनों के समर्थन में JMM की स्थापना की और वे इसके महासचिव बने ।

 

 

 

    राजनीतिक उपलब्धियाँ

  • लोकसभा सांसद: 1980–84, 1989–98, 2002–19
  •  झारखंड के 3 बार मुख्यमंत्री (2005, 2008–09, 2009–10)
  • केंद्रीय कोयला मंत्री तीन बार

आदिवासी उत्थान के लिए महत्वपूर्ण आवाज, जिन्हें संत समुदाय द्वारा ‘Dishom Guru‘ भी कहा जाता था

 

      विवाद

  • हत्या मामला 1994 में उनके निजी सचिव की हत्या में दोषी ठहराए जाने पर 2006 में जीवन कारावास की सजा हुई, जिससे केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा ।

पिता की सियासी छाया में उभरे हेमंत सोरेन का सफर

  • हेमंत सोरेन का जन्म 10 अगस्त 1975, नेमरा गाँव, रामगढ़ में हुआ। और उनके परिवार में दो भाई (दुर्गा व बसंत) व एक बहन अंजली हैं ।
  • हेमंत सोरेन ने  Patna High School से इंटरमीडियेट की पढ़ाई पूरी की। बाद में BIT Mesra, Ranchi में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया, लेकिन बीच में ही छोड़ दिया ।
  • हेमंत सोरेन 2009 में राज्‍यसभा सांसद बने और उसी साल विधायक भी चुने गए
  • 20102013: झारखंड के उपमुख्यमंत्री
  • 2013–14: पहली बार मुख्यमंत्री
  • 2015–19: विपक्ष के नेता
  • 2019–24: दोबारा मुख्यमंत्री बने और सहयोगी गठबंधन चलाया
  • 2024: ED द्वारा गिरफ्तारी के बाद इस्तीफा देना पड़ा
  • जून‑24 में बरी होने पर जुलाई में मुख्यमंत्री पद पर लौटे

विवादास्पद मामले ED द्वारा धनशोधन और अवैध ज़मीन सौदे में आरोप, जनवरी 2024 को गिरफ्तारी हुई , बाद में जून 2024 में जमानती रिहाई हुई थी

 

 

                                                  शिबू सोरेन का निधन न सिर्फ झारखंड बल्कि पूरे देश और विशेष रूप से आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई को नई दिशा दी और जनजातीय समाज को राजनीतिक पहचान दिलाई। उनका संघर्ष, नेतृत्व और योगदान सदैव याद रखा जाएगा। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे। झारखंड ने अपना सच्चा सपूत खो दिया।

 

 

 

 

 

 

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